श्री ज्ञानेश्वरी ग्रंथ का हुआ देवनागिरी सिन्धी भाषा मे अनुवाद
महाराष्ट्र नागपुर , नागपुर की वरिष्ठ कवयित्री वीना आडवाणी तन्वी के द्वारा महाराष्ट्र के जाने माने संत ज्ञानेश्वर महाराज जी
Read Moreमहाराष्ट्र नागपुर , नागपुर की वरिष्ठ कवयित्री वीना आडवाणी तन्वी के द्वारा महाराष्ट्र के जाने माने संत ज्ञानेश्वर महाराज जी
Read Moreये तंहाई भरी अंधेरी गहरी काली रात हमे डराते हैं।। ये उमड़े घुमड़ते बादल देख हम अक्सर कितना डर जाते
Read Moreदर्द-ए चीख मेरी, मेरे ही भीतर तोड़ मुझे घुटके रह गई नकाब हंसी का, चेहरे पर लगाकर दर्द सब सह
Read Moreआज फिर उसी मोड़ पर मेरी दर्द-ए यादें मुझे ले आई फिर वही मोड़ जहॉं मैं, दर्द और सिर्फ संग
Read Moreबेरंग सी हुई मेरी दर्द-ए जिंदगी में, रंग भर दो तुम। जो खुशी मिली न मुझको उस खुशी से मुझे
Read Moreकितनी हसरत से जिंदगानी नाम दे हमनें तुझे चाहा था आज उन्हीं गलियों में, तेरा नाम ले हमने तुझे पुकारा
Read Moreयदि मैं आज किसी के पसंद अनुसार चलती, या सरल भाषा मे अगर ये कहा जाए कि दूसरों के खुशी
Read Moreनिरंतर बढ़ती हुई आपाधापी में लोग इस कदर एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में न जाने कौन कौन
Read Moreजिंदगी की कशमोकश मे उलझ हम रह गये ना चाहकर भी हम सब खामोश रह सह गये।। दर्द ही दर्द
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