कविता

ये अंधेरी रात

ये तंहाई भरी अंधेरी 

गहरी काली रात 

हमे डराते हैं।।

ये उमड़े घुमड़ते बादल

देख हम अक्सर कितना

डर जाते हैं।। 

ये चॉंद भी अपनी 

चॉंदनी संग मिल

जैसे हमें चिढ़ाते हैं।।

कहते जैसे ये मिल

हम तो बहुत खुश

हवाओं संग इठलाते हैं।।

देख तेरी हालत पर 

हंसी आती हमको

कह मुझे ये रूलाते हैं।।

कहने को कोई नहीं

हम तंहाई में बस 

आंसूं ही बहाते हैं।।

क्या करें जब हार जाते खुद से

अंधेरी रात में तंहा लिख वेदना

दर्द कि चादर ओढ़ सो जाते हैं।।

ये तंहाई भरी अंधेरी 

गहरी काली रात 

हमें डराते हैं।।2।।

— वीना आडवाणी तन्वी

वीना आडवाणी तन्वी

गृहिणी साझा पुस्तक..Parents our life Memory लाकडाऊन के सकारात्मक प्रभाव दर्द-ए शायरा अवार्ड महफिल के सितारे त्रिवेणी काव्य शायरा अवार्ड प्रादेशिक समाचार पत्र 2020 का व्दितीय अवार्ड सर्वश्रेष्ठ रचनाकार अवार्ड भारतीय अखिल साहित्यिक हिन्दी संस्था मे हो रही प्रतियोगिता मे लगातार सात बार प्रथम स्थान प्राप्त।। आदि कई उपलबधियों से सम्मानित