आत्मकथा : मुर्गे की तीसरी टांग (कड़ी 24)
शहनाज की तरह ही मेरी एक और पत्र मित्र थी- टीना। उसका असली नाम था ‘मैरीना कोलाको’। वह ईसाई थी
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Read Moreपत्र-मित्रता के माध्यम से मुझे कई घनिष्ट मित्र पाने का सौभाग्य मिला, जिनका जिक्र आगे करूँगा। मेरे व्यक्तित्व के निर्माण
Read Moreबहुत से हिन्दू संगठन और व्यक्ति आमिर खान अभिनीत फिल्म ‘पीके’ पर प्रतिबन्ध लगाने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि
Read Moreआगरा में अपनी कक्षा के ज्यादातर लड़कों से भी मेरे सम्बन्ध नाम मात्र के थे। उनकी निगाह में मैं गाँव
Read Moreअध्याय-8: मेरे हमदम मेरे दोस्त दिल अभी पूरी तरह टूटा नहीं। दोस्तों की मेहरबानी चाहिए।। मैं उन लोगों को अत्यधिक
Read Moreतीसरे और चौथे सत्र में भी हमारा प्रदर्शन काफी अच्छा रहा, लेकिन कल्पना कुछ अंकों से ही प्रथम श्रेणी लाने
Read Moreलेकिन वर्षो की आदत छूटना आसान नहीं है, अतः पहले सेमिस्टर में हमारा रवैया बहुत कुछ लापरवाही का ही रहा।
Read Moreहमारी दादी प्रायः एक कहावत सुनाया करती थी- ‘लड़ाई कौ घर हाँसी, रोग कौ घर खाँसी’ अर्थात् “हँसी-मजाक करना लड़ाई-झगड़े
Read Moreअध्याय-7: हँसा हूँ हाल पर अपने जिन्दगी यूँ भी गुजर ही जाती। क्यों तेरा रह गुजर याद आया? बी.एससी. की
Read Moreबी.एससी. में मेरे अंक लगभग 64 प्रतिशत थे और मैं काफी संतुष्ट था। मुझे याद आता है कि एक बार
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