आत्मकथा : मुर्गे की तीसरी टांग (कड़ी 21)
अध्याय-8: मेरे हमदम मेरे दोस्त दिल अभी पूरी तरह टूटा नहीं। दोस्तों की मेहरबानी चाहिए।। मैं उन लोगों को अत्यधिक
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Read Moreतीसरे और चौथे सत्र में भी हमारा प्रदर्शन काफी अच्छा रहा, लेकिन कल्पना कुछ अंकों से ही प्रथम श्रेणी लाने
Read Moreलेकिन वर्षो की आदत छूटना आसान नहीं है, अतः पहले सेमिस्टर में हमारा रवैया बहुत कुछ लापरवाही का ही रहा।
Read Moreहमारी दादी प्रायः एक कहावत सुनाया करती थी- ‘लड़ाई कौ घर हाँसी, रोग कौ घर खाँसी’ अर्थात् “हँसी-मजाक करना लड़ाई-झगड़े
Read Moreअध्याय-7: हँसा हूँ हाल पर अपने जिन्दगी यूँ भी गुजर ही जाती। क्यों तेरा रह गुजर याद आया? बी.एससी. की
Read Moreबी.एससी. में मेरे अंक लगभग 64 प्रतिशत थे और मैं काफी संतुष्ट था। मुझे याद आता है कि एक बार
Read Moreसांख्यिकी और अर्थशास्त्र के शिक्षकों के विपरीत हमारे गणित के शिक्षक बहुत ही औसत दर्जे के थे केवल एक अपवाद
Read Moreआकस्मिक दुर्घटनाओं को छोड़कर सभी रोगों की माता पेट की खराबी कब्ज है। इसमें मलनिष्कासक अंग कमजोर हो जाने के
Read Moreअध्याय-6: मौजमस्ती के दिन मिले तो यूँ कि जैसे हमेशा थे मेहरबाँ। भूले तो यूँ कि गोया कभी आशना न
Read Moreश्रीमती इन्दिरा गाँधी का चुनाव रद्द होने का समाचार मुझे दिल्ली में ही मिला था, जब मैं अपना इलाज कराने
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