तुलसीदास ओ तुलसीदास
तुलसीदास ओ तुलसीदास तुम भी प्रेम पाश में सारी हदें लांघ गये थे रजनी के तम में जली जो विरह
Read Moreतुलसीदास ओ तुलसीदास तुम भी प्रेम पाश में सारी हदें लांघ गये थे रजनी के तम में जली जो विरह
Read Moreतुम देखते हो एक औरत में आंखों की लंबाई होठों की चिकनाई स्तनों का आकार नितंबों की मोटाई तुम निहायती
Read Moreछंद, विधान~ [भगण मगण सगण+गुरु] ( 211 222 112 2, 10वर्ण,,4 चरण, दो-दो चरण सम तुकांत घाट बिना नौका कित
Read Moreमुझे तुमने देश की रक्षा का भार दिया है, मैं बन्दुक लिए सीमा पर खड़ा हूँ. कोई दुश्मन तुम्हारी ओर
Read Moreतुम मुझको नहीं रिझाओ मुझे हमेशा डर लगता है ऐसे न तुम कभी हंसाओ खुशियों में भी गम दिखता है
Read Moreन अभिमान कर, वर्तमान का, पद का, प्रतिष्ठा का, और इसकी ऊंचाइयों का ! होगा कोई और, कल इसका वारिस
Read Moreशिक्षित समाज, ये सभ्य समाज,,, सब्जी-भाजी की तरह, लगती है जहाँ, आज भी… जिस्मों की मंडी ॥ नज़रें करें, तोल-मोल
Read More