मासूम प्रद्युम्न को शब्दांजलि
भूखी देह, नहीं मानती भेद तो… चलाये एक स्वच्छता अभियान ‘मन’ का…!!! ‘ईश्वर’ निराश नहीं हुआ ज़ारी हैं नूतन सृजन
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Read Moreसम्मान खरीदने की औकात नहीं मेरी हर साल आते हैं ढ़ेर सारे सूचना पत्र मेरे पास | इकट्ठा हो गये
Read Moreजानते है सब कि कोई नहीं जानता आगे क्या होने वाला है..? फिल भी एक दूसरे से पूछते है कि
Read Moreतुम मुझे बुलाओ, मैं तुम्हें बुलाऊँ, समारोह को सबसे ऊंचा दिखाऊँ। खिंचवाकर दो चार फ़ोटो हमारे, जोर शोर से अखबार
Read More*विधा :~ ◆वंशस्थ छंद◆* विधान~ [ जगण तगण जगण रगण] (121 221 121 212) 12वर्ण, 4 चरण, दो-दो चरण समतुकांत]
Read Moreहां मैं गांव हूं थोड़ा अभावों में जीता हूं मगर फिर भी सबसे हंसता मिलता हूं सांझे है गम सांझी
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