कविता : भूख
किसान का बेटा बोला माँ से, उलझन मेरी सुलझादो न। नेता कैसे बनते है ? मईया मुझे बतादो न।। मुस्कुराकर
Read Moreकिसान का बेटा बोला माँ से, उलझन मेरी सुलझादो न। नेता कैसे बनते है ? मईया मुझे बतादो न।। मुस्कुराकर
Read Moreसावन आया….. ~~~~~~~ सावन आया – सावन आया साथ में राग मल्हार लाया मेघों संग पेड़ों पर पड़ गये गोरी
Read Moreकभी था बरगद का पेड़ वहाँ लगता जैसे काँपती सूरज की तपन बच्चें-बुढ़े और युवाओंकी मण्डली जमाये रहती थीं चौपाल
Read Moreकरघा व्यर्थ हुआ कबीर ने बुनना छोड़ दिया । काशी में नंगों का बहुमत , अब चादर
Read Moreवैसे तो ज़िन्दगी हर घड़ी इक इम्तिहान है किन्तु पूर्व-नियोजित परीक्षाएँ तो कहा जाता है बचपन, जवानी की ही पहचान
Read Moreराष्ट्रभाषा हिंदी —————— हिंदी गौरव, हिंदी है मेरी पहचान | हिंदी पर तन-मन-धन सब अर्पण || देवनागरी लिपि सहज-सरल-निर्मल |
Read Moreतुम्हें याद है न.. कभी तुम्हारे अंदर एक गाँव बसा करता था लहलहाते खेतों की ताज़गी लिए भोला भाला,सीधा साधा
Read Moreफिफ्टी -फिफ्टी की दुनियाँ का ,आया नया जमाना । बीबी प्रियतम से कहती है ज़रा चाय ले आना । ।
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