“नाबूद हुई कालर”
काव्य रचना……. चूहे ने फिर से कुतर दिया टगे हुए कुरते की कालर कहीं कतरन कहीं झालर मिला जमात को
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Read Moreआज भी अलमारी के पुरानी किताबों के बीच दफन है कुछ पुराने खत जो लिखे तो सही मैने लेकिन कभी
Read Moreबेजुबां है ये इनकी आंख से सिर्फ आंसू बहते है ! इनके दर्द की कहानी इनके बहते आंसू कहते है
Read Moreसौरभ के नहीं ये अक्षर, मैले जीवन का है । धूलि-धूसरित होते हैं, ये अभाग्यों का है ।। हंसी खुशी
Read Moreकाश्मीर का हाल जानकार । हम निंदा और कड़ी कर देंगें ॥ इससे अधिक क़ि आस न करना । वरना
Read Moreविधान- 27 मात्रा, 16,11 पर यति, अंत में गाल विशेष – सरसी = चौपाई + दोहा का सम चरण समान्त
Read Moreहै रिश्ता उनसे दिल का, बस जिस्मानी नहीं है कतरा कतरा मेरी सांसो में वो शामिल है वो है मेरी
Read Moreवो है इस बात से बेखबर जागती हूँ रातों को उसे याद कर सोने नहीं देती मुझे उसके एहसासों की
Read Moreमाँ शब्द है कितना प्यारा, लगता सबको है यह न्यारा। मोल नहीं है इसका कोई, समझे जो यह ज्ञानी सोई।
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