बसन्त….
मन में फिर से प्यास जगाया पिया मिलन की आस जगाया खेतों मे कुछ फूल हैं पीले हर्षित मन है
Read Moreहमरे देशवा की संस्कृतिया का बचाय लेतु राम जगह जगह पर लूट-पाट औ अत्यचार डकैती, राग,द्वेष सब भरिगा मन मा
Read Moreनज़्म ज़ख़्मों से डर कर जीने में जीने का लुत्फ़ ही फ़ाख़्ता हो गया था, ज़ख़्मों को मरहम बना लिया
Read Moreजय हो हिन्दुस्तान की।। विजयी हो भारत की संस्कृति धर्म सनातन मान की।। जिनके बलसे विश्व मंच पर हम पाते
Read Moreमन का दुख बडा होता है माना तुझको कष्ट बहुत है लेकिन मेरा हाल बुरा है तेरी तो कन का
Read Moreसोचता हूँ, और जैसा कि, मैं अकसर कभी-कभी सोच लेता हूँ.. बहुत दिन हुए कोई कविता लिखे क्यों न आज
Read Moreदेख शहर की ऊँची अट्टालिकाएँ, मस्ती भरा आलीशान जीवन लिए आँखों में स्वप्न सुनहरे असंख्य करें शहरों को पलायन !
Read Moreबचपन से एक ही सपना था पिता का शान बढ़ाना है, बोझ नहीं होती हैं बेटियाँ ये साबित कर दिखलाना
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