सोचा ना था
सोचा ना था समझा ना था जाऊँ कहाँ मालूम ना था कांटे तो थे लाखों मगर एक फूल की भी
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Read Moreमाफी चाहता हूँ मैने नववर्ष का अभिनन्दन नही किया अंग्रेज़ो के द्वारा दिये गये तारिखो का वन्दन नही किया !
Read Moreशरीफ बन कर रहना एक गुनाह हो रहा है, शराफत दिखा कर जीना, सजा हो रहा है, शराफत दिखाना जिसका
Read Moreनारी और नदी कहीं ना कहीं समान होती हैं। दोनों अपनी जगह पर महान होती हैं। एक जीवन दायक जल
Read Moreमन दा हनेरा दूर ना होवे भांवें लखां सूरज चमकण मन दा हनेरा दूर करण लई प्रेम दा इक्को दीवा
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