चाह
चाह राह में पड़ा एक कंकड़ हूं मुझे न तू शंकर बना । न मार ठोकर इधर-उधर तू मुझे जोर
Read More…..बस निर्भया भूल गए वो निर्भया को हुई वह बात पुरानी । अश्क की धारा बही है यूं है करूण
Read Moreपाई पाई काट के, राखी चिल्लर जोड़ किल्लत की थैली लिए, उम्मीदों के मोड़ उम्मीदों के मोड़, बड़ी मुश्किल से
Read Moreबेचैन आँखों को तलाश है तुम्हारी एक झलक पाने की निहार रही हूँ राहे कब से तुम्हारे लौट आने की
Read Moreसर्दी का मौसम आया है, फ़िज़ा में मस्त मस्त रंगरलियां बिखेरता हुआ, विशाल धुंध की चादर लपेटे हुए, बादलो की
Read Moreमुक्त काव्य…… सुबह शाम बाग में होती थी चहल पहल सहारे की लकड़ी हाथों में टहल टहल कुछ का दौड़ना
Read Moreआए जाए ऋतु सखी, ऋतु के अपने रंग बिनु ऋतु नहि कदली फरे, लय बिनु नहीं मृदंग लय बिनु नहीं
Read Moreवर्ण-पिरामिड ये शक्ति द्योतक ओजपूर्ण ममतामय सर्वशक्तिमान हे माता तेरा पय । दे दुग्ध जीवन चराचर रूपअनेक क्षमता विवेक अगणित
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