महालक्ष्मी वर्णिक छंद
महालक्ष्मी ‘मापनीयुक्त वर्णिक छंद 212 212 212 माघ ठंडी लगे रात में | राम बोले ज़रा प्रात में | काम
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Read Moreकिसने देखा मुझे..? फटे-चीथड़ों में मनु-मरूभूमि में अधनंगे भटकता था मैं रेगिस्तान की रेत चहुँओर कड़ी धूप में भूख और
Read More।। जला देंगे..।। यही था हमारा सर्वश्रेष्ठ मध्यम मार्ग जो अनादि काल का उन्नायक जीवन एक दूसरे के साथ जिस
Read Moreमानव जीवन अनमोल है करो इसका सम्मान, गुजरने वाला एक एक पल है बड़ा मूल्यवान। . कुछ भी बनने से
Read Moreघाट घाट पानी पिया, खड़ी नाव मँझधार हर दिन मांझी बदलता, नई नई पतवार नई नई पतवार, घाट नदियां बहुतेरे
Read Moreजिन्दगी का यह, कैसा खेल कभी खुशी रहती है कभी आता है गम अन्तर्मन में अन्तर्द्वन्द्व दे जाता है, एक
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