कविता : माँ
सींचें लहू से, आँचल में सिमटा प्यार ! माँ ही है संसार ! ! गर्दिशों की धूप में, आँचल की
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Read Moreजनमानस क पर्व है आया, सबको दीप जलाना है। दिया जलाकर हर जगहों पर,जोति यहाँ फैलाना है। द्वेष कलह को
Read Moreमिटटी के दीये में हमारे संस्कार हैं उपदेश है गरीब की रोटी है शुभागमन का सन्देश है दिया ह्रदय का
Read Moreमन से जीवन में सुन्दरता है , मन से जीवन में चंचलता है, मन ही मन में जो मुस्काते है,
Read Moreबलिया सियालदह एक्सप्रेस के झरोखे से जब झांकता हूँ दूर तक वसुधा किसी बड़े पेन्टर के कैनवास सी प्रतीत होती
Read Moreरानी लक्ष्मीबाई धर काली का रोंद्र रुप अंग्रेजों का संहार किया ! मातृभूमि की रक्षा हेतु दुर्गा का अवतार लिया
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