कविता

कवितापद्य साहित्य

“तुम्हारी यादों को ख्वाबो में सजा कर रखूँगा”

तुम्हारी यादों को ख्वाबो में सजा कर रखूँगा। अपनी बातो को तुमसे मिल-मिलाकर रखूँगा यहाँ डर लगता है तुम कभी

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