कैसे?
जरा सोच के देखो आज़ाद हिंद के वासी यातनाओं के कारागार में “इँकलाब” के नारे कैसे गुँजें होंगे ? पाँव
Read Moreनानी वाली कथा-कहानी, अब के जग में हुई पुरानी। बेटी-युग के नए दौर की, आओ लिख लें नई कहानी। बेटी-युग
Read Moreईश्वर की अमूल्य कृति हैं बेटियाँ जो सींचती हैं हर-एक घर को अपने स्नेहसिक्त आँचल से बेटियां जिस घर में
Read Moreआज सिंधु की लहरों ने, ली फिर से अंगड़ाई है, बूढ़ी साँसों में भी फिर-फिर, जाग उठी तरुणाई है, ताल
Read Moreकौवों को दान दिए श्रद्धा से आ आ किये क्यों कि उसके कांव कांव को मनहूस मानते रहे , मुंडेर
Read Moreमानव के मन में बसी, मानवता की चाह दानव की दानत रही, कलुष कुटिलता आह कलुष कुटिलता आह, मुग्ध पाजी
Read Moreबर्फ़ीले पर्वत धरें, चादर चाह सफ़ेद लाल तिरंगा ले खड़ा, भारत किला अभेद भारत किला अभेद, हरा केसरिया झंडा शुभ्र
Read Moreआहिस् से आते कंपकंपाते हाथों को देखकर सोचा कि इक गीत लिखूँ झुर्रियों से सराबोर उसका शरीर देख,सूती धोती जनेऊ
Read More