कविता : यह ज़िंदगी है कुछ करने के लिए
नहीं मिली है ज़िंदगी मरने के लिए, यह ज़िंदगी है कुछ करने के लिए गर आज नहीं तो सुख आएगा
Read Moreनहीं मिली है ज़िंदगी मरने के लिए, यह ज़िंदगी है कुछ करने के लिए गर आज नहीं तो सुख आएगा
Read Moreजब तिरंगा लहराता है , लगता कितना प्यारा है वन्दे मातरम के नारों को ,मिलकर सबने पुकारा है भारत माँ
Read Moreदैविक गुणों से भरपूर औरत का कर्ज कभी न चुका पाऊँ पर बिगड़ी औरत से उसकी खुद की परछाई की
Read Moreउम्मीदों की कली तभी खिलेगी जब सोच को मंजिल मिलेगी प्रयासों की जब काया पलटेगी उलझी मेहनत तब सुलझेगी एकाग्र
Read Moreमैं नहीं हूँ औरत का विरोधी बहना पर चाहता हूँ समाज से कुछ कहना आज की औरत अपने फर्ज से
Read Moreराखी के त्योहार पर भैया इतना कर जाना तुम। आधुनिकता की हौड़ में यूं बदल न जाना तुम। बचपन के
Read Moreहर पल हर क्षण , उस गुरु का ध्यान करूं | कृपा है उसकी अनन्त , क्या महिमा का बखान
Read Moreइक और मीरा झुकी-झुकी इन पलकों में, सपनों की घटा है छाने लगी ! अजब बेचैनी मेरे मन में, घर
Read Moreउलझन मन की सुलझ न पाए… कहूँ या छुपा लूँ हैं ऐसे ख़याल कईं !! तरसती आँखें रस्ता निहारें… मिलोगे
Read Moreमाटी की हांडी *************** जरा सी आग बची थी चूल्हे में तो सोचा क्यों इस तपत को बेकार जाने दूँ
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