हर राज देखते हैं
ये आईने ही चेहरे का हर दाग देखते हैं दाग को बेदाग होते हर बार देखते हैं रोक नहीं पाते
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Read Moreबिल्कुल फल्गु सा है मेरा दिल । अपनी वेदना है फल्गु की तो मैं भी भरा पड़ा हूँ वेदनाओं से
Read Moreसुन सखी… आ गई जिंदगी की शाम लगने लगा यूँ मानो… शनै: शनै: उम्र हो रही तमाम जाने कब किस
Read Moreमैंने लिखना छोड़ दिया, भला लिखे या बुरा लिखे छुट पुट मुक्तक खूब लिखे, मुख पोथी पर बड़े जतन से
Read Moreचला चलता हृदय हँसता, प्रफुल्लित तरंगित होता; सृष्टि के सुर सुने जाता, इशारे समझता चलता ! धरा धाए मुझे चलती,
Read Moreसूरज खुद जलता जाता है, धरती को अधिक तपाता है, जब सूख गए सब नदी ताल, मानव, खग, पशु होते
Read Moreपरिन्दों सी निकली मुहब्बत भी तेरी ! बदला जब मौसम बदल लिया फिर ठिकाना !! मिलने की चाहत हरदम रहती
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