शहर
दौड़ता-भागता शहर मैं कहती, ज़रा ठहर मगर सुनता ही नहीं यह दौड़ता-भागता शहर पैरों में जैसे, इसके पहिए जड़े हों
Read Moreखड़ी है उपेक्षित अवस्था में वह बड़े दांतों वाली मशीन कुछ ही दूरी पर परियोजना स्थल से l न जाने
Read Moreअजब गजब सारी दुनिया के रंग बदलते मैँने देखे । ज़र्रे ऊपर उठते देखे , गिरते यहाँ मसीहा देखे ।।
Read Moreजितना करीब आए चेहरे के दाग़ गहराते गए किताबों में छपे शब्द और धुँधलाते गए क्यूँ हर चीज़ अच्छी दूर
Read Moreमैं बेटी बनकर आई हूँ खुशियाँ ही खुशियाँ लाई हूँ, जन्मों जन्मों के रिश्तों को, मैं यहाँ निभाने आई हूँ,
Read Moreक्यों चाहा उसे जो मोहब्बतों के काबिल न थी आंधियों का जज़्बा थी वो प्रेम का सागर न थी हम
Read Moreअभी तो दिल्ली चीख रही है जख्म जो कुरेदा उसे भर रही है पर राक्षसों की इस बस्ती में ज़बरन
Read Moreनारों से न पेट भरेगा, रोटी और रोजगार चाहिये भाव भावना से न हमको, अब कोई खिलवार चाहिये। हरे केसरी
Read Moreआज मुझे और किसी ने नहीं टोका है, बस सुबह-सुबह फूलों ने मेरा रास्ता रोका है. छोटी-सी क्यारी से खूबसूरती
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