आंसूओं की ‘कद्र’
इन आंसूओं की अब इस जमाने में ‘कद्र’ नहीं होती, पर इन आँखों को भी छलके बिना, ‘सब्र’ नहीं होती,
Read Moreइन आंसूओं की अब इस जमाने में ‘कद्र’ नहीं होती, पर इन आँखों को भी छलके बिना, ‘सब्र’ नहीं होती,
Read Moreराह पर राहगीर बनाकर भेज दिया मुझको। चलता रहा दिन-रात कोई ना मिला मुझको। यहसास हो रहा तुम हर-पग-पर हो
Read Moreजब सूरज अपने उजास को समेट रहा होगा और चाँद ने फैलानी शुरू कर दी होगी चाँदनी दोनों के मिलन
Read Moreतेरी पायल की वो आवाज आज भी आती है मुझे जो उस वक़्त दड़कन में झनकार सी लगी थी मुझे
Read Moreजो था, अब नहीं रहा जो है वो कभी था ही नहीं एहसास मे दूरियों और इन्तजार की कसी गाँठ
Read More“इंडिया” तूने खो दिया एक महान बेटे को । जो ज्ञाता था “क़ुरान और भगवत गीता ” का । जो
Read Moreन गांधी आएंगे न नेहरू न सुभाष आएंगे न भगत साल बितते है स्मारक बनते हैं इनके नाम पर जन्मदिवस
Read Moreजब सूर्य की, रोशनी के चले जाने के बाद होने लगती है साम धीरे -धीरे अंधेरा का पहरा होने लगता
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