जब कभी मेरी बात…
जब कभी मेरी बात चलेगी कुछ चेहरों पे हँसी खिलेगी कुछ पलकों पर मोती होंगे और हँसके कुछ लोग कहेंगे
Read Moreजब कभी मेरी बात चलेगी कुछ चेहरों पे हँसी खिलेगी कुछ पलकों पर मोती होंगे और हँसके कुछ लोग कहेंगे
Read Moreआज की है ये चीखो-पुकार पानी पानी पानी… जनता है परेशान, नेता हैं हैरान कहां से लायें पानी पानी पानी…
Read Moreकिताबों की खामोश चीख सुनी है कभी उसमें बसे किरदारों की आवाज सुनी है कभी हर किरदार तड़पता है —बंद
Read Moreकोमल ही नहीं कठोर भी है कि विषम परिस्थितियों में भी खड़ी रहती चट्टानों की तरह डट कर.. मृदुभाषिनी ही
Read Moreतूम बुनते रहे स्वप्न मैं जागती रही रात भर तुम निकल पड़े जब मंजिल की ओर मैं राहे तुम्हारी बुहारती
Read Moreकर रहा है इक करुण पुकार कोख में पलता हुआ इक भ्रूण ! हे मेरी माता ! हे मेरी मैया
Read Moreपानी है जिंदगी जीवन निर्भर पानी पर पानीका कोई विकल्प नही पानी बिन जीवन नही पानी का कोई रंग नही
Read Moreजैसे दिन चढता है मन में अँधेरा बढ़ता है तपता सूरज हो जैसे मन ये मेरा जलता है बहूत ही
Read Moreपौध पेड़ होता नहीं, जबतक लगे न हाथ अंकुर होता बीज है, पाकर माटी साथ पाकर माटी साथ, पल्लवित होता
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