कविता

“कुंडलिया”

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पौध पेड़ होता नहीं, जबतक लगे न हाथ
अंकुर होता बीज है, पाकर माटी साथ
पाकर माटी साथ, पल्लवित होता है तरु
दाना दाना बीज, किसान रोपता है धरु
कह गौतम कविराय, ना पेड़ों को अब रौद
छाया कर समुदाय, उगाकर धरोहर पौध॥

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ