मालिनी सम छंद एवं कुंडलिया
मालिनी (सम छंद) नगण नगण मगण यगण यगण – 15 वर्ण रस रंग लय मोरा फ़ाग हारा जहाँ है सुख
Read Moreमालिनी (सम छंद) नगण नगण मगण यगण यगण – 15 वर्ण रस रंग लय मोरा फ़ाग हारा जहाँ है सुख
Read Moreसमय, पुनः वापिस न आने के लिए उड़ा जा रहा है आदमी, मनचाही वस्तु को बार-बार पाने की चाहत में
Read Moreपहले पहल जब था मान उसका उस मध्यवर्गीय घर में , था उसमें भी माद्दा जब दर्शकों की भीड़ खींच
Read Moreये गम का सैलाब जिसने मेरे अंदर जन्म दिया एक शायरा को ये बचपन से मेरे साथ है मेरा हमनवाँ,
Read Moreस्त्री यानि औरत जिस की मजबूरी है घर की आमदनी बढ़ाना या आधुनिकता की दौड़ में शामिल होना इसी लिए
Read Moreहरेक बच्चा नही आता है कक्षा में प्रथम और हरेक का दूसरा या तीसरा स्थान भी नही आता है कक्षा
Read More1 वो फूंदी लँगड़ी कंचे,झूले आँख मिचौली छूट गए सब अपने हमझोली 2 लो फिर हमको घेर लिया उन यादों
Read Moreआधुनिक नारी आधुनिक नारी यह तो है सब पे भारी। कोई न पाए पार ऐसी इसमें होशियारी। जीवन इसका व्यस्त
Read Moreशादी के बाद की थी उसकी पहली होली देवर के दोस्तों ने चाही करनी ठिठोली तैयारी पूरी कर लगाये थे
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