कविता – देश
मंदिर में फूल चढ़े न चढ़े, उस राह में फूल चढ़ा देना । जो देश पर मिटने जाते है, अपना
Read Moreमंदिर में फूल चढ़े न चढ़े, उस राह में फूल चढ़ा देना । जो देश पर मिटने जाते है, अपना
Read Moreमुसलसल बरसात का सिलसिला जारी रहा जिस पल………….. पलकों में भी सावन की सौगात आ गई इनायत औ गुनाहों ने
Read Moreआज जिस इंसान से भी पूछो, “कैसे हो क्या हाल है” जवाब एक ही है… बस कट रही है, बस
Read Moreसूर्य अखिल विश्व को प्रकाश का अनंत उपहार देते हुए गर्माहट का सुखद अहसास देते हुए अपने चिर गांभीर्य को
Read Moreयूँ तो हर तरफ बारिशों का पहरा है । फिर क्यों मन ये मेरा रेत का सेहरा है ।। इतना
Read Moreहजारों सालों पहले आएं हमारी भूमि पर वे असलों से लैस होकर मंडराएं हमारे खेतों, घरों, मैदानों और पहाड़ों पर।
Read Moreदेशकाल परिस्थिति के साथ ही बढ़ जाती हैं आवश्यकताऐं। पूर्ण हुई यदि न आवश्यकता तो बन जाती हैं समस्याऐं।। ले
Read Moreगीली धरती ,तपता मन। आग लगाता ,ये सावन।। सुगंध खोकर, खिले गुलाब। खुद से जलता,एक आफताब।। चाँद के संग बाटता,
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