आत्मकथा – दो नम्बर का आदमी (कड़ी 31)
अगले दिन हमें गोरखपुर के लिए प्रस्थान करना था। हमारा विचार था कि अब तक भीड़ छँट गयी होगी तथा
Read Moreअगले दिन हमें गोरखपुर के लिए प्रस्थान करना था। हमारा विचार था कि अब तक भीड़ छँट गयी होगी तथा
Read Moreहमारे फ्लैट के आसपास के फ्लैटों में रहने वाले अधिकांश परिवारों से हमारा सामान्य परिचय था, मगर घनिष्टता केवल एक
Read Moreवाराणसी में जो नया फ्लैट मैंने किराये पर लिया था, वह श्रीमतीजी को बहुत पसन्द आया। अगले कुछ दिन घर
Read Moreमेरे विवाह में रिश्तेदार अच्छी संख्या में आ गये थे, जैसा कि प्रायः होता है। मैंने अपने बैंक के साथियों
Read Moreयहाँ पर यह बता दूँ कि मेरे तइया ससुर श्री सत्य नारायण जी गोयल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अत्यन्त प्रमुख
Read Moreमेरी पहली हवाई यात्रा 26 अगस्त 1989 (शनिवार) मैंने अपने साथी अधिकारी श्री राकेश क्वात्रा के साथ जाकर वाराणसी से
Read Moreमैं 2-3 दिन गाँव में रहा और सबसे मिला। मेरा मन गाँव छोड़ने को नहीं कर रहा था, परन्तु छुट्टियाँ
Read Moreकम्प्यूटर अधिकारियों के अलावा जिस अधिकारी से मेरी विशेष घनिष्टता थी, वे थे श्री नरेन्द्र प्रसाद धस्माना। वे हमारे हिन्दी
Read Moreवाराणसी में पर्यटक बहुत आते हैं। प्रमुख तीर्थ होने के कारण देशी पर्यटक तो आते ही हैं, विदेशी पर्यटक भी
Read More28 दिसम्बर को समय पर मैं बैंक पहुँच गया और वहाँ उपप्रबंधक (ईडीपी) का कार्यभार ग्रहण कर लिया। मेरे पास
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