अतीत की अनुगूंज -14 : ईस्टर और मैं
इस देश में आई तो जनवरी का महीना था। और दो महीने लगे घर ज़माने में। एक कमरा और सांझी रसोई . उसमे
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Read Moreबंबई के मुंबई बनने के रास्ते शायद इतने जटिल और घुमावदार नहीं होंगे जितनी मुश्किल मेरी दूसरी मुंबई यात्रा रही
Read Moreशादी को अभी तीन महीनें ही हुए थे। पतिदेव बैंक में सीनियर मैनेजर के पद पर पदस्थापित थे। जिनकी पोस्टिंग
Read Moreबुजुर्गो का आशीर्वाद ,सलाह सदैव काम आती है ये उनके पास अनुभव का ऐसा अनमोल खजाना होता है जिनको पीढ़ी दर
Read Moreमार्च आ गया है। ठण्ड बहुत पडी है और तूफ़ान भी एक के बाद एक अलग
Read Moreबाल दिवस 2003 – पत्नी का असामयिक निधन – इकलौती सन्तान 17 वर्षीया बेटी के लिए मम्मी की भी भूमिका
Read Moreकुत्ते तब भी पाले जाते थे, लेकिन विदेशी नस्ल के नहीं। ज्यादातर कुत्ते आवारा ही होते थे, जिन्हें अब स्ट्रीट
Read Moreपिछले सत्तर वर्ष हमने देखे हैं। हममे से कोई भी छाती पर हाथ धरकर यह नहीं कह सकता कि हमें
Read Moreइस वर्ष मेरे पूज्य पिता श्री लक्ष्मी चरण जी की जन्म शताब्दी है। पापाजी अत्यंत मेधावी व्यक्ति थे। अपने स्वभाव
Read Moreनिरन्तर चलना ही जिंदगी है, फिर चाहे जाड़ा हो, गर्मी हो, बरसात हो बस चलना ही है और मैं निरन्तर
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