अतीत की अनुगूँज – 7 : केतुल क्यों पिछड़ा
भारतीय समाज में काश्मीर से लगाकर कन्याकुमारी तक ,हर माँ या दादी या नानी नन्हें बच्चों को
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Read Moreजीवन के खेल वाकई निराले होते हैं। कई बार ऐसा होता है कि ना – ना करते आप वहां पहुंच
Read Moreसुबह बिली रॉस जल्दी आ गया। मगर पीछे पीछे उसकी माँ उसका बस्ता लेकर गुस्से से लाल होती ,आ धमकी।
Read Moreक्या होता है जब हीन भावना से ग्रस्त और प्रतिकूल परिस्थितियों से पस्त कोई दीन – हीन ऐसा किशोर कॉलेज
Read Moreकापी में से कागज़ के फाड़ने की आवाज़ सुन अध्यापिका चौंक गईं और चुपचाप मूक-बधिर छात्र के पीछे खड़ी होकर
Read Moreकहां संभावनाओं के आकाश में टिमटिमाता नन्हा तारा और कहां क्रिकेट की दुनिया का एक स्थापित नाम। निश्चित रूप से
Read Moreराजेश कोहली से मेरी दोस्ती तब से थी जब हम दोनों ने एक ही दिन इंगलैंड की एक बस कम्पनी
Read Moreभारत से पलायन कुछ आकस्मिक था। तब मेरे बच्चे बहुत छोटे थे। बड़ा बेटा मनु सात बरस का था। दो
Read Moreवर्ष 1973 में बी .एस सी. उत्तीर्ण करने के बाद मेरी इच्छा थी कि अपने प्रिय विषय वनस्पति -विज्ञान में
Read Moreबाह्य जगत की अनुभवहीनता से बच्चे किसी तरह संधि कर सकते हैं परन्तु जब सवाल अंतर्दृष्टि का आता है तब
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