यादों के झरोखे से-4
वे दो रूमाल उन दो रूमालों ने सपने में भी नहीं सोचा होगा, कि कोई उनको इतना सहेजकर रखेगा और
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Read Moreआज से सात दिन पूर्व ,१५ अप्रैल ,२०१९ का दिन विश्व इतिहास का एक काला दिन कहा जायेगा। पेरिस का
Read Moreबुंदेलखंड के बांदा जिले के एक पिछडे़ गांव ‘बल्लान’ में 1973 में जन्म हुआ और 1998 में प्राथमिक शिक्षा के
Read Moreहोलिका दहन का वह दिन, मैं घर पर ही था। डॉक्टर तो पहले ही जवाब दे चुके थे। बात केवल
Read Moreबाल्यावस्था की बात करूँ तो सबसे बड़ी विडम्बना होती है मानव बुद्धी का तेज विकास और उसी अनुपात में अनुभवशून्यता
Read Moreइनाम की अठन्नी आज से लगभग पचास वर्ष पूर्व की बात है, जब मैं छठी कक्षा में पढ़ती थी। तब
Read Moreभारत छोड़ने के बाद मैंने अध्यापन में पुनः अपना भाग्य बनाया। पहले दस वर्ष लंदन के उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में
Read Moreबात लगभग पैंतालीस साल पुरानी है । हमारे छोटे दादाजी पहलवान थे । दाँतों से गेहूँ का भरा बोरा
Read Moreरानी लक्ष्मीबाई वीरता की प्रतिमूर्ति थीं. उनकी वीरता का गुणगान अंग्रेजों ने भी किया था. खूब लड़ी मर्दानी वह तो
Read More1966 में मुझे इंगलैंड की एक बस कम्पनी में बस कंडक्टर की नौकरी मिल गई थी। ट्रेनिंग के लिए हम
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