पहचान (लघु कथा )
पहचान (लघु कथा ) मीरा उठ दिन चढ आया | कबतक सोती रहेगी जा बबलू को स्कूल छोड़ आ |माँ
Read Moreपहचान (लघु कथा ) मीरा उठ दिन चढ आया | कबतक सोती रहेगी जा बबलू को स्कूल छोड़ आ |माँ
Read More“सुनती हो जी!” “सुनती ही तो रहती हूं जी, सुनाइए, आज क्या सुना रहे हैं!” “आज सब्जी क्या बनाई है,
Read Moreबर्तन माँजती हुई स्नेहा को जब पता चला कि उसकी सास उसे न केवल घूर रही है, बल्कि तंज कसते
Read Moreमार्केट जाते हुए रोज कमली दिखाई देती थी. खुले मैदान में चूल्हे पर बटलोई में दाल पक रही होती और
Read Moreबड़ा कारुणिक दृश्य है! तरुवर करुण क्रंदन कर रहे हैं, पंछी उड़ान छोड़कर उदास हैं, कारखाने की चिमनियां बराबर कालिख
Read Moreमाँ अपनी अटैची में कपड़े ठूँसते हुए बोली-“चल बेटा, अपने पुराने मुहल्ले में। मुझे अब यहाँ नहीं रहना।” “क्यों माँ!
Read Moreअपने गुरू महर्षि धौम्य की आज्ञा पाकर आज शाम को आरूणि खेत गया। खेत पहुँचकर देखा कि मेड़ कटी हुई
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