कुण्डली/छंद

कुण्डली/छंद

ताजी खबर : ताजी कुंडलिया

आया ऐसा जलजला, हिला पुनः जापान। जिसके कारण देखिए, काँपा हिंदुस्तान। काँपा हिंदुस्तान, राजधानी फिर डोली। देती प्रकृति जवाब, पाप

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कुण्डली/छंद

ताजी खबर : ताजी कुंडलिया

गरमी का पारा गया,सीमा को कर पार। मरे सैकड़ों आदमी,चहुँ दिश हाहाकार। चहुँ दिश हाहाकार,हाल हैं खस्ता सबके। पशु-पक्षी-इंसान,हार माने

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कुण्डली/छंद

ताजी खबर : ताजी कुंडलिया

रहे सियासत जातिगत,बंधन से गर मुक्त। विकसित अपना राष्ट्र हो,अरु खुशहाली युक्त। अरु खुशहाली युक्त,देश का हर जन होवे। खाकर

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