क्षणिका
धन्यवाद क्यों दे रहे हो मुझे, इसके पात्र तो वे हैं जो तेरे साथ किसी समय कुछ पल गुजारें थे।
Read Moreसंगीत सुहाना बच्चों का हँसना मुस्काना, जीवन का सुन्दरतम गाना। इससे अच्छा नहीं मिलेगा, दुनियाँ में संगीत सुहाना। — प्रभु
Read Moreतुम घर आ गयी? कैसी हो तुम? कुछ खाना खाया था या नहीं? थकी भी होगी न? यही सारे सवाल
Read Moreत्रासदी है…. क्या छोटा शहर, क्या महानगर… विकृत मानसिकता के व्यक्ति हर जगह पाए जाते हैं । समझ नहीं आता
Read Moreतजुर्बे से लवरेज, बेबस बागबां ! उपेक्षित,,, स्नेहिल रिश्तों द्वारा ! नि:शब्द हो, चाहें,,, जीवन से रिहाई !! अंजु गुप्ता
Read Moreगम्भीरता का ओढ़ लबादा, आज फिर एक वर्ष बाद हिन्दी दिवस पर, फिर बैठा,,, अभिजात्य वर्ग । दे अँग्रेजी में
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