ग़ज़ल
ग़ज़ल का निचोड़ मेरे मतले में।इक समन्दर आ गया है क़तरे में।वक़्त लगने से ही यह फिर खुलती हैं,गुंझलें ही
Read Moreजाने हों,अनजाने, अच्छे नहीं लगते ।।बिना वजह ताने, अच्छे नहीं लगते ।। यादों की शहनाइयां बजती हों उनकी दिल में,तब
Read Moreमालुम न था के आँखों से होगी कभी बरसात बहुत।वो रुठ गया, पता न था, याद आयेंगे लम्हात बहुत। अनजान
Read Moreजिंदगी के कुछ पन्ने जो रह गए बिन पढ़े,सीखो लेखन का हर सलीक़ा, किताबों से। दबी है कुछ कर गुजरने
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