ग़ज़ल
कोई कर के वो भूल आया है,शोहरतें कर के धूल आया है। जिसकी कांटों के जैसी फितरत वो।आज बनकर के
Read Moreमाटी की सौंधी ख़ुशबू भी, जिनको लगती बू बास ज़रा,वो कहते हम लिखेंगे, अब इस धरती का इतिहास ज़रा।वेद पुराण
Read Moreबात बस इतनी सी है कि कुछ भी नहींये जो दुनिया है बस अपनी नहीं ! ख्वाबों की दुनिया बङी
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