माया ममता संगिनी
माया ममता संगिनी, मोह हिया अंगार । कामी क्रोधी लालची, कब उतरे हैं पार । दौलत से अंधे हुए, कौरव
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Read Moreशब्द — जीभ, रसना ,जिह्वा ,वाणी, जुबान रसना रस की पारखी, घेरे रहते दाँत बिगड़ी जीभ भली नहीं, चोटिल होते
Read Moreव्यर्थ में व्यर्थ का, राग आप अलापते, व्यर्थ ही आग में, आप आहूति डालते। यज्ञ या चिता नही, ये दावानल
Read More1 – नोट जतन से थे रखे , आया इक भूकंप अफरा -तफरी मच गई , खूब हुआ हड़कंप ॥
Read Moreयह कैसा दौर आया है , मुसीबत साथ लाया है कतारों में खड़े लाखों , हजारी मिल न पाया है।
Read Moreकली कली कहने लगी, मत जा मुझको छोड़ कल तो मैं भी खिलूंगी, पुष्प बनूँगी दौड़ नाहक न परेशान हो,
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