तेरे धैर्य के आगे नत हूँ माँ दुःख तो तूने सहे मैं पस्त हूँ माँ तेरी बराबरी नही कर सकती तू सागर मैं नदी का तट हूँ माँ शान्ति पुरोहित
मुक्तक/दोहा
मुक्तक
धोये चरण राम के अश्रु जल बरसाया धो अपने पाप को केवट मन हर्षाया लिया चरणामृत मुक्त हुआ पापों से इस जल को देख गंगा जल भी हर्षाया शान्ति पुरोहित
मुक्तक
ऋतु शिशिर आयी, सर्द समीर ने दी दस्तक नभ घटा छाई घनघोर, मावट की दस्तक अवनि छुपी है, आज कोहरे की ओट मौसम की मार सूरज ने नही दी दस्तक — शान्ति पुरोहित