दोहा
दोहे…. कल्पन अब जीवन बना, कल्पन ही विश्वास। कल्पन से मिलती मुझे, नित चलने की आस।-1 काव्य इशारों की कला,
Read Moreक्रोधी लोभी लालची, बिन मारे मरि जाय कभी न खुद शीतल रहें, औरन दुख दे जाय आक्रोश जस जस बढ़े,
Read More1- जब से प्रभू तेरा नाम हो गया संपूर्ण सफल हर काम हो गया जब से बैठा हूँ हरि चरणों
Read Moreचौपाई कलियुग महिमा बरनि न जाई, ट्वीटर फेसबुक की प्रभुताई सुबह शाम जप एकहि नामा, तन मन नेक समाहित कामा
Read Moreऐ मेरे चंचल मन बहुत देखा है ये संसार बनके पंछी उड़ा है गगन में पंख पसार सूरज-चाँद-तारे गगन में
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