मेरा पहला मुक्तक भाजपा के महानायक आदरणीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के सम्मान में सादर समर्पित [1] हे राजनीति के युग पुरुष , तेरा लख-लख अभिनंदन तेरी अमोघ गौरव गाथा का , कण-कण करता वंदन नही धरा पर कोई सानी , राजनीति अरु कविता का राज नमन करे आपको , हे मलयागिरि शीतल चंदन […]
मुक्तक/दोहा
तम्बाकू-सिगरेट छोड़ने का सरल उपाय
तलब लगे जब तम्बाकू-सिगरेट की,विचलित ना होना बस गिलास-भर पानी लेकर धीरे-धीरे सिप करना कुछ दिन में ही लत तेरी ये, छू-मन्तर हो जायेगी ‘भान’ मिलेगा नवजीवन, महकेगा घर-कोना-कोना उदय भान पाण्डेय ‘भान’ दिनांक 31-05-2015 विश्व तम्बाकू-निषेध दिवस
कुछ मुक्तक
(1) जीवन की आड़ी तिरछी राहों पर आगे बढ़ता चल बाधा से घबराना कैसा सोच समझ पग धरता चल जन काँटों को चुन एक तरफ कर समतल कर दे राहों को दुःखी हृदय में प्रेम जगा कर मुस्कानों से भरता चल (2) सुजला सुफला शस्य श्यामला सपनों में ही शेष रह गया बहुत किया दोहन […]
मुक्तक
प्रियतम तेरी याद है आई बहुत दिनों के बाद मुझको सारी रात जगाई बहुत दिनों के बाद सर्द हवा आई मेरे दिल को छूकर चली गई लगा तेरा स्पर्श कराई बहुत दिनों के बाद
मुक्तक माणिक
प्रेम की अविरल बहेगी धार जब ; खिलखिलायेगा सकल संसार जब । तब किसी मन में ना होगी कामना ; सत्य से हो जाओगे दो चार जब । रास्ते हो जाय सब दुश्वार जब ; पाओं चलने से करें इंकार जब । हैं सहारा एक बस परमात्मा ; बेसहारा छोड़ दे संसार जब । दिल […]
दो मुक्तक
आ मेरी ग़ज़ल तुझे प्यार दूं नया साज दूं नया राग दूं तुम बंसी मेरी बन जाओ अपने स्वर तुम पर साध दूं दिल ये मेरा अब तुम्हारा हो गया जब से कश्चित इशारा हो गया मैं भटकता राह में था दर-बदर तुम मिले मुझको सहारा हो गया — अरुण निषाद
मुक्तक : कृषक
हे कृषक तेरा पसीना लहू बनकर झूमता है, शक्ति , शौर्य, प्रेम से हर जिगर को चूमता है रात -दिन जो एक करता अन्नदाता है व्यथित तंगहाली जिंदगी में मौत से नित जूझता है — राजकिशोर मिश्र [राज]
मुक्तक
रुठती वो रहीं मैं मनाता रहा दर्द के गीत मैं गुनगुनाता रहा मुस्कुराती रहीं वो बड़े दर्प से मैं तड़पता रहा छटपटाता रहा — अरुण निषाद
मुक्तक : नहीं देखा
दिल में समाकर जिसने, गुलिस्ताँ नहीं देखा हमसफ़र बन साथ चलते, बागवाँ नहीं देखा मंज़िलें देखी बहुत ,प्यार पर एतवार नहीं कब राह चलते मिल गये, आसमाँ नहीं देखा — राजकिशोर मिश्र [राज] १२/०५/२०१५ प्रस्तुत मुक्तक मे —- रदीफ़ = नही देखा काफिया = गुलिस्ताँ , बागवाँ, आसमाँ में आ की मात्रा पर अनुस्वर (अं) काफिया […]
एक मुक्तक : तुम्हीं हो
मेरा पहला प्यार तुम्हीं हो सच्चा प्यारा यार तुम्हीं हो तन में साँसें जब तक मेरे जीवन का आधार तुम्हीँ हो — मदन मोहन सक्सेना