मुक्तक/दोहा

दोहे

झिलमिल काली ओढ़नी, मुखड़े पर है धूप |
जग सारा मोहित हुआ , तेरा रूप अनूप |१|

कश्मीरी हो सेब ज्यों , हुआ तुम्हारा रूप |
छुअन प्रेमिका सी लगे, ये जाड़े की धूप |२|

रामदुलारी रो रही, चूल्हे पर धर नीर |
भूखे बच्चों से कहे, कब तक धरियो धीर|३|

मोटे चावल में मिला , दिया जरा सा नीर |
माँ के हाथों से बनी, बिना दूध की खीर |४|

वासंती रुत आ गई , ले फूलों का हार |
नव यौवन नव यौवना , कर लो आँखें चार |५|

अम्मा को लिख भेज दो, थोड़ी दुआ सलाम |
उसके तन मन को लगे, ज्यों केसर बादाम |६|

बूढ़ी अम्मा रो रही , शहर हो गया गाँव |
ना बरगद का पेड़ है, ना पीपल की छाँव |७|

मामा तेरे खेत में , उगते लाखों लाल |
झिलमिल झिलमिल खेत है, तू भी मालामाल |८|

तन गंगा में धो लिया , धुला न मन का पाप |
मन मंदिर को धो सखा, हो तन निर्मल आप |९|

इश्वर तेरे नाम से , लगा रहे हैं भोग |
पेट बढ़ाये जा रहे , खाते पीते लोग |१०|

— अनन्त आलोक

अनन्त आलोक

नाम - अनन्त आलोक जन्म - 28 - 10 - 1974 षिक्षा - वाणिज्य स्नातक शिक्षा स्नातक, पी.जी.डी.आए.डी., व्यवसाय - अध्यापन विधाएं - कविता, गीत, ग़़ज़ल, हाइकु बाल कविता, लेख, कहानी, निबन्ध, संस्मरण, लघुकथा, लोक - कथा, मुक्तक एवं संपादन। लेखन माध्यम - हिन्दी, हिमाचली एंव अंग्रेजी। विशेष- हि0प्र0 सिरमौर कला संगम द्वारा सम्मानित पर्वतालोक की उपाधि - विभिन्न शैक्षिक तथा सामाजिक संस्थाओं द्वारा अनेकों प्रशस्ति पत्र, सम्मान - नौणी विश्वविद्यालय द्वारा सम्मान व प्रशस्ति पत्र - दो वर्ष पत्रकारिता आकाशवाणी से रचनाएं प्रसारित - दर्जनों पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित - काव्य सम्मेलनों में निरंतर भागीदारी - चार दर्जन से अधिक बाल कविताएं, कहानियां विभिन्न बाल पत्रिकाओं में प्रकाशित प्रकाशन - तलाश (काव्य संग्रह) 2011 संपर्क सूत्र - साहित्यालोक, बायरी, डा0 ददाहू, त0 नाहन, जि0 सिरमौर, हि0प्र0 173022 9418740772, 9816642167