मुक्तक/दोहा

कुछ दोहे

१-
महावीर औ बुद्ध का समझे नहीं जो मर्म
कर्म काण्ड को छोड़कर लेकर बैठे धर्म

२-
माई माई कर रहा ड्योढ़ी खड़ा फकीर
माई ने देखा नहीं उन अंखियन का नीर

३-
तुलसी ने मानस रचा नहीं लिखी यह पीर
कलजुग में उस राम पर निकलेंगी शमशीर

४-
सब हीरे बेमोल हैं वाकी जैसी पीर
प्रेम राग सबसे बड़ा कह गये संत कबीर

५-
टूटी फूटी झोपड़ी या महलों का जाल
मैंने तो समझा यही अंतर है बस काल

६-
जिस मन में रहता नहीं श्रद्धा रूपी न्यास
किंचित ना होता उसे प्यार भरा एहसास

७-
सीता संगी राम की घर हो या वनवास
इससे बढ़कर क्या मिले प्यार भरा एहसास

मानस मिश्रा 

मानस मिश्रा

नाम- मानस मिश्रा कार्य- स्वतंत्र लेखन पता- लखनऊ फोन- 8957937102 मेल- mishramanas17@gmail.com

2 thoughts on “कुछ दोहे

  • ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

    आदरणीय मानस मिश्रा जी बहुत ही सटीक दोहे . बधाई आप को .

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छे दोहे !

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