छ्न्द शशि की कला
छ्न्द शशि की कला । धर्मे की करबला । सोच कितनी सहज। दूर क्यों तू चला । राजकिशोर मिश्र ‘राज’
Read Moreछ्न्द शशि की कला । धर्मे की करबला । सोच कितनी सहज। दूर क्यों तू चला । राजकिशोर मिश्र ‘राज’
Read Moreचाँद सूरज ज़मीं पे उतर आए हैं। देख साहब यहाँ मन निखर आए हैं । राज वंदन करे चन्द शब्दों
Read Moreजीवन यज्ञ प्रकाश हैं, यही तीज त्यौहार भर देते खुशियां शहर, आप लिए व्यवहार गाँव गिरांव सुदूर से, आशा लाए
Read Moreलक्ष्मी गणपति पूजिए, पावन पर्व महान , बाढ़े विद्या बुद्धि धन, मानव होय सुजान. हिया अंधेरौ मिटि रहै, जागै
Read Moreएक कल भगत सिंह का जन्म दिन हमारी सरकार ने कुछ यूं मनाया पार कर सरहद कहा गांधी ही नहीं
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