मां जगदंबे, करूँ वंदना!
जगततारिणी माँ, जगदंबे माँ, रिद्धि, सिद्धि दात्री सुहासिनी मां, भक्ति दो, शक्ति दो, हमें साहस दो,, ज्ञान गागर माणिक मोती
Read Moreजगततारिणी माँ, जगदंबे माँ, रिद्धि, सिद्धि दात्री सुहासिनी मां, भक्ति दो, शक्ति दो, हमें साहस दो,, ज्ञान गागर माणिक मोती
Read Moreमेरा ये भावहै तेरा प्रभाव,बिन तेरे जैसेलागे आभाव। कैसा लगाव,कितना जुड़ाव,थके पथिक कोमिले शीतल छाँव। कभी ऐसा लगेजैसे गये थे
Read Moreगाम की स्त्रियाँ जीवन चलाने के लिएढोती हैं जीवन का अनचाहा बोझ,जीवन सिर्फ़ उनका अपना नहींबल्कि सारे समाज का अस्तित्व
Read Moreचाहा भारत की संस्कृति ने, सदा ही विश्व का हो कल्याण,विश्व संविस्कृति है वास्तव में, धरती वेद की कीर्तिमान।जन्में विश्व
Read Moreहमारी सोने की चिड़िया लूटीहमें अप्रैल फूल बना गएचैत्र महीने से शुरू होता था जो देसी सालउसे पहली जनवरी से
Read Moreजी करता है जाने तुझको,कैसी थी तुम बचपन में।चञ्चल थी या चुप चुप रहतीसच कह क्या अंतर्मन में। कितना मुश्किल
Read Moreकाम-पढ़ाई सब पूरा कर मैं इसी तलाश मेंसीढ़ी पर चढ़ गुपचुप-गुपचुप जाऊँगी आकाश मेंसोचने लगी दादा-दादी के किस्से गंभीर दिल
Read Moreअपनी जड़ों से कब जुड़ पाओगे,कटे रहोगे बंटे रहोगे,चीखोगे,चिल्लाओगे,छटपटाओगे,पर चैन कहां से लाओगे,खुद के बारे में सोचते रहते,अपनों को क्यों
Read Moreहे मातेश्वरी ! आपने सजाई मेरी,इतनी सुंदर सी आंगनबाड़ी,मातारानी आपकी कृपा से,चलती है मेरी जीवन गाडी़ । हे विन्ध्येश्वरी !
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