कविता : मेरे मखमली से ख्वाब…
जो था, अब नहीं रहा जो है वो कभी था ही नहीं एहसास मे दूरियों और इन्तजार की कसी गाँठ
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Read More“इंडिया” तूने खो दिया एक महान बेटे को । जो ज्ञाता था “क़ुरान और भगवत गीता ” का । जो
Read Moreन गांधी आएंगे न नेहरू न सुभाष आएंगे न भगत साल बितते है स्मारक बनते हैं इनके नाम पर जन्मदिवस
Read Moreजब सूर्य की, रोशनी के चले जाने के बाद होने लगती है साम धीरे -धीरे अंधेरा का पहरा होने लगता
Read Moreमैं देखा- कई सड़को पर चिकने रास्ते पर बना दिये जाते हैं। पगडण्डी की तरह, एक मेड़ जबकि – सरकार
Read Moreशीर्षक — पहाड़ / पर्वत / भूधर गिरि से उतरती गंगा, कलकल करती धार भूधर भूमि निहारता, जल ज़मीन का
Read Moreकाँटों भरी न जिंदगी, काँटों भरा न ताज माँ धीरज रख निकालूँ, पैरन तेरे आज पैरन तेरे आज , कभी
Read Moreदिन गुजर होता है रात बसर होती है सुबह शाम हँसती है धूप में पिघलती है बारीश में बरसती है
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