स्व-रचित वर्ण-पिरामिड
*जिंदगी* 1. है टेढी पहेली जिंदगानी जो सुलझाये वही बना ज्ञानी शेष रहे अज्ञानी ========== *मधुर गान* 2. हे
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Read Moreसादर सुप्रभात आदरणीय मित्रों, आज एक चित्र अभिव्यक्ति आप सभी को सादर निवेदित है…….. “दोहा मुक्तक” पारिजात का पुष्प यह,
Read Moreमित्र स्नेह का झरना है और मित्र गुणों की खान मित्रों से ही है समाज में हम सब की पहचान
Read Moreमुझे गीत वसंत का गाने दो, कुछ देर तो ग़म को भुलाने दो कभी आंधी-पानी ने मारा कभी शीत पड़ी,
Read Moreनहीं पता था एक दिन—– ऐसा समय आ जायेगा। एक-दूसरे में कभी बात——– नहीं बन पायेगा। मार-काट कर आपस में—–
Read Moreफूल खिले हैं गुलशन गुलशन, देख के हर्षित होता है मन अवसादों को दूर हटाकर, आओ घूमे उपवन उपवन! ठंढ
Read Moreमिलेगी जीन्दगी लेकिन जमी ना मोहब्बत की होगी । हमने चाहा टूटकर तुझको ना अब वो मुलाकात होगी । हमने
Read Moreघर में इंद्रधनुष की आभा फैल जाती है बिटिया के चेहरे पर जब मुस्कान आती है समग्र सृष्टि जैसे मंगल
Read Moreसुबह की ठन्डी हवा मेरे तन में लगी। आलस्य हटती, मेरा मन हर्षित हुआ। कनकनी मोती की तरह बिखरने लगी।
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