रोज़ डे
टीचर ने मुझको है पढ़ाया, रोज़ का मतलब होता गुलाब, मैं भी ममी का गुलाब हूं, टीचर का भी हूं
Read Moreफागुन में कुहरा छाया है। सूरज कितना घबराया है।। — अलसाये पक्षी लगते हैं। राह उजाले की तकते हैं।। —
Read Moreमन करता है जय भारत, जय-जय भारत मैं गाऊं, जय भारत, जय भारत गा, गणतंत्र दिवस मैं मनाऊं. उठते-बैठते, सोते-जागते
Read Moreछोटे-छोटे बालक हैं हम, लेकिन नहीं किसी से कम, मत समझो नादान है बुद्धि, कल तो देश चलाएंगे हम सौंप के
Read Moreकुहरे और सूरज दोनों में,जमकर हुई लड़ाई। जीत गया कुहरा, सूरज ने मुँहकी खाई।। — ज्यों ही सूरज अपनी कुछ
Read Moreनन्ही-सी मैं चिड़िया हूं, अपनी ममा की गुड़िया हूं, लगती हूं मैं भोली-सी, बड़ी गजब की पुड़िया हूं. अभी तलक
Read Moreईंटों से घर बना हमारा। विद्यालय भी बनता प्यारा।। मिट्टी को साँचे में भरते। सुघड़ ईंट का सर्जन करते।। भट्टे
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