बालगीत : तितली
बालदर्शन मासिक कानपुर मे नवम्बर 1991 में छपा प्रथम बालगीत फूलों पर मंडराती तितली चंचल पंख हिलाती तितली डाल-डाल पर
Read Moreबालदर्शन मासिक कानपुर मे नवम्बर 1991 में छपा प्रथम बालगीत फूलों पर मंडराती तितली चंचल पंख हिलाती तितली डाल-डाल पर
Read Moreबादल मचा रहे हैं शोर। नाच रहा जंगल में मोर।। बहुत डराते काले बादल। लेकिन मोर हुए हैं पागल। बदरा
Read Moreचुन्नू मुन्नू पढ़ने जाते रोज़ रोज़ वे उधम मचाते मम्मी पापा जब समझाते सुन कर भूल दुबारा जाते एक दिन एक सिपाही आया मुन्नू को तब बहुत डराया चुन्नू उससे अब घबराया उसने फिर न उधम मचाया — भारत विनय
Read Moreसीधा-सादा, भोला-भाला। बचपन होता बहुत निराला।। बच्चे सच्चे और सलोने। बच्चे होते स्वयं खिलौने।। पल में रूठें, पल में मानें।
Read Moreआगे इसे ले जाना है भारत सपूत हम सच्चे हैं देश सेवा से न पीछे हटेंगे मेहनत करेंगे डटकर हम
Read Moreकाली बिल्ली जब घर आई। मम्मी ने रसमलाई छुपाई। जैसे ही देखा चूहों ने। झट से सरपट दौड़ लगाई चमकीली
Read Moreघर की मियारी पर दादी ने, डाले दो झूले रस्सी के। चादर की घोची डाली है, तब तैयार हुए हैं
Read Moreअभी पूर्व से मुर्गा बोला, सूरज ने दे दी है बांग। लालूजी कवितायें लिखते, ऐसी ही कुछ ऊंट पटांग। कौआ
Read Moreयह ढोलक है दादी की। दादी की परदादी की। दोनों इसे बजाती थीं। मिलकर गाने गाती थीं। हम भी इसे
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