(शिशु गीत) संगीत है जीवन की परिभाषा, जीने की एक अभिलाषा, संगीत है आत्मा, संगीत परमात्मा, मन को सुकून देकर करे अवसाद का खात्मा. संगीत जग का है वरदान, संगीत एक कला है महान, संगीत धीर भी है गंभीर भी है, संगीत प्यासे का नीर भी है, मां मुझको एक मुरली मंगा दे. मैं मोहन […]
शिशुगीत
गुलाब की चाहत
बच्चे और गुलाब एक जैसे, जैसे पालो बन जाएं वैसे, बच्चे गुलाब की तरह महकें और जग को महकाएं, खिलखिलाती खुशी से चहकें और सबको चहकाएं, आशा की किरण बनकर चमकें और जग को चमकाएं, यह मेरी चाहत है, यही चाहत मेरी राहत है.
रुनक-झुनक नाचें गणपति लाला
रुनक-झुनक नाचें गणपति लाला गौरां मैय्या खुश पिता शिव हैं निहाला 1.गणपति के सिर मुकुट सुहाना जो देखे हो जाए मस्ताना घुंघराली अलकें हैं कुंडल विशाला रुनक-झुनक नाचें———- 2.गणपति का पीताम्बर प्यारा उसकी चमक से जग है न्यारा पैंजनिया की रुनझुन करती निहाला- रुनक-झुनक नाचें———- 3.गणपति बल-बुद्धि-ज्ञान-प्रदाता विघ्न-विनाशक भाग्य-विधाता प्रेम की जोत से जगत निहाला- […]
गणपति बप्पा मोरया
अभिनंदन हे गणपति देवा, मन-आसन तैयार, आके विराजो हे विघ्नविनाशक, प्राणों के आधार. प्रथमै पूजन होता तेरा, तीन लोक के स्वामी, लड्डुअन भोग लगाओ आकर, घट-घट अंतर्यामी. हमने तुझ पर तन-मन वारा, प्राण भी तुझ पर घोरया, जल्दी आओ सिद्धिविनायक, गणपति बप्पा मोरया
मुझको तोता कह सकते हो
मुझको तोता कह सकते हो, संग मेरे बतिया सकते हो, अपनी प्रशंसा जो खुद करता, मिट्ठू मियां उसे क्यों कहते हो? मैं तो वही बोलता हूं जो, मुझे सिखाते हो तुम लोग, राम-राम कहना सिखलाओ, गाली बकना बुरा है रोग. अच्छे बच्चे अच्छी बातें, करते और सिखाते हैं, वक्त पड़े तो काम बड़े भी, छोटे […]
कांटों बिन जीना क्या जीना!
हम सुमनों की अजब कहानी, क्षणभंगुर है अपनी जवानी। भंवरे खुशबू ले जाते हैं, पत्ते झड़ें जब गिरता पानी॥ कांटों में रहकर लगता है, अपने घर में रहते हैं। कांटों बिन जीना क्या जीना! अपने आपसे कहते हैं॥
माखन चोर
मां तू मुझे मक्खन खिलाती है, मेरे सखा न माखन चख पाते, उनके घर का सारा माखन, कारिंदे कंस के ले जाते. मैं इसलिए मक्खन चुराता हूं, मेरे सखा भी माखन खा पाएं, पर सबसे पहले मैं खाता, मेरे सखा न दोषी कहलाएं. “हेरत-हेरत पथ हार गईं, आलि माखन चोर नहिं आयो”, ये कहती हैं […]
गणपति उत्सव
हे गणेश गणपति तव वंदन, गणपति उत्सव में अभिनंदन, दस दिन तक अब मौज रहेगी, हे शंकर सुत गौरी नंदन. रात-दिवस तुम साथ रहोगे, हमरी सुनोगे अपनी कहोगे, खूब मिलेंगे मोदक-मेवे, संग हमारे मौज करोगे.
कृष्ण-कन्हैया
जन्मदिवस तेरा आया है, मन मेरा हर्षाया है, कितनी सुंदर मुरली तेरी, मोरपंख मनभाया है. कोई कहता तुमको कान्हा, केशव-माधव-यशोमति लाला, मेरे तो तुम कृष्ण-कन्हैया, माखन-मिश्री खाने वाला. आओ आंखमिचौली खेलें, मैं छिपता तुम ढूंढो मुझे, फिर मेरी भी आएगी बारी, तुम छिपना ढूंढूं मैं तुझे.
रक्षा बंधन
रक्षा बंधन आया है, स्नेह बहन का पाया है, राखी बांधी उसने मुझको, मेरा मन हर्षाया है. मां ने कहा “उपहार उसे दो”, मैंने पूछा “क्या चाहिए?” बहना बोली”प्यार सदा ही, बनाए रखना, यही चाहिए.” “प्यार में कमी न आने दूंगा, रक्षा को तैयार रहूँगा, तुमने खिलाई मुझे मिठाई, मैं मीठा व्यवहार करूंगा.”