मां तू मुझे मक्खन खिलाती है, मेरे सखा न माखन चख पाते, उनके घर का सारा माखन, कारिंदे कंस के ले जाते. मैं इसलिए मक्खन चुराता हूं, मेरे सखा भी माखन खा पाएं, पर सबसे पहले मैं खाता, मेरे सखा न दोषी कहलाएं. “हेरत-हेरत पथ हार गईं, आलि माखन चोर नहिं आयो”, ये कहती हैं […]
शिशुगीत
गणपति उत्सव
हे गणेश गणपति तव वंदन, गणपति उत्सव में अभिनंदन, दस दिन तक अब मौज रहेगी, हे शंकर सुत गौरी नंदन. रात-दिवस तुम साथ रहोगे, हमरी सुनोगे अपनी कहोगे, खूब मिलेंगे मोदक-मेवे, संग हमारे मौज करोगे.
कृष्ण-कन्हैया
जन्मदिवस तेरा आया है, मन मेरा हर्षाया है, कितनी सुंदर मुरली तेरी, मोरपंख मनभाया है. कोई कहता तुमको कान्हा, केशव-माधव-यशोमति लाला, मेरे तो तुम कृष्ण-कन्हैया, माखन-मिश्री खाने वाला. आओ आंखमिचौली खेलें, मैं छिपता तुम ढूंढो मुझे, फिर मेरी भी आएगी बारी, तुम छिपना ढूंढूं मैं तुझे.
रक्षा बंधन
रक्षा बंधन आया है, स्नेह बहन का पाया है, राखी बांधी उसने मुझको, मेरा मन हर्षाया है. मां ने कहा “उपहार उसे दो”, मैंने पूछा “क्या चाहिए?” बहना बोली”प्यार सदा ही, बनाए रखना, यही चाहिए.” “प्यार में कमी न आने दूंगा, रक्षा को तैयार रहूँगा, तुमने खिलाई मुझे मिठाई, मैं मीठा व्यवहार करूंगा.”
हमें चाहिए आजादी
हमें चाहिए आजादी कोरोना के कष्टमय इरादों से, व्यर्थ के दुःखदायी विवादों से, दुश्मन की नापाक चालों से, प्लास्टिक बैग से भरे नालों से. आजादी जो निर्बाध हो, विश्वास जिसमें अगाध हो, आनंद का अंबार हो, प्रेम-ही-प्रेम का श्रंगार हो.
फुटकी
फुटकी हूं मैं फुटकी हूं, दिखने में मैं छुटकी हूं, नील गगन पर जब मैं उड़ती, याद न रखती छुटकी हूं. सब कहते मैं सुंदर हूं, बच्चों की मैं प्यारी हूं, घमंड करना मुझे न भाता, सरल स्वभाव उर-धारी हूं.
नीला रंग
मेरी छतरी कितनी प्यारी! रंग है इसका नीला, जब मैं ऊपर नजर उठाऊं, आसमान भी नीला. नीले रंग की टोपी मेरी, मम्मी ने है बनाई, नीले रंग की चिड़िया प्यारी, मेरे अंगना आई.
बुआ का पर्स
बुआ जब भी आती हैं, खेल-खिलौने लाती हैं, टॉफी-बिस्कुट-कपड़े-मिठाई, चीजें ढेर-सी लाती हैं. ममी कहतीं, ”रोज बुआ से, चीजें लेना ठीक नहीं”, ”मैं मजबूर हूं पर्स बुआ का, चेक किए बिन चैन नहीं.”
नशा नाश करता है
नशा नाश का कारण होता, तन-मन-धन का करता नाश, आत्मा तक भी बिक जाती है, परिवार का सत्यानाश! मोबाइल भी एक नशा है, सीमित हो इसका उपयोग, आंखें भी धोखा दे जातीं, लग सकते हैं और भी रोग. खुद भी समझें बात पते की, नशा बड़ों का भी छुड़वाएं, नशा मुक्त भारत बनाएं, आओ यह […]
बादल राजा
बादल राजा आएंगे, ढेरों खुशियां लाएंगे, रिमझिम-रिमझिम बरखा होगी, पंछी गाना गाएंगे. भीग-भीग पेड़ों के पत्ते, और हरे हो जाएंगे, ताल-तलैया जल से भरेंगे, हम झूमेंगे-नाचेंगे.