बाल कविताशिशुगीत

रुनक-झुनक नाचें गणपति लाला

रुनक-झुनक नाचें गणपति लाला
गौरां मैय्या खुश पिता शिव हैं निहाला
1.गणपति के सिर मुकुट सुहाना
जो देखे हो जाए मस्ताना
घुंघराली अलकें हैं कुंडल विशाला
रुनक-झुनक नाचें———-
2.गणपति का पीताम्बर प्यारा
उसकी चमक से जग है न्यारा
पैंजनिया की रुनझुन करती निहाला-
रुनक-झुनक नाचें———-
3.गणपति बल-बुद्धि-ज्ञान-प्रदाता
विघ्न-विनाशक भाग्य-विधाता
प्रेम की जोत से जगत निहाला-
रुनक-झुनक नाचें———-
4.गणपति ऋद्धि-सिद्धि के हैं स्वामी
नवनिधि-नायक अंतर्यामी
शुभ और लाभ से भगत निहाला-
रुनक-झुनक नाचें———-
5.भक्ति-प्रदायक शक्ति के दाता
बंधु-सखा-गुरु-पितु-हितु-माता
दर्शन से प्रभु कर दो निहाला-
रुनक-झुनक नाचें———-

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244