कविता

हे विघ्न विनाशक

 

हे गणपति गणेश

हे संकटहर्ता विघ्नहर्ता

हे विघ्न विनाशक मंगलदायक

गणपति बप्पा शिव गौरी नंदन

इतनी मस्ती भी अच्छी नहीं है

अब धरती का तनिक ख्याल भी करो

अब आप धरा पर आ ही जाओ

हमारा कल्याण करो, न करो, सब चलेगा

हताश हो रहा है अब प्राणी

असहाय सा होता जा रहा है,

चंद भ्रष्टाचारियों के कारण

देश भी बदनाम हो रहा हैं,

विकृति मानसिकता का रोग बढ़ रहा है

हमारी बहन बेटियों का

जूनून जलवा तो बढ़ जरूर रहा है,

पर खौफ में उनका जीवन चल रहा है।

एक घटना सारी मातृशक्तियों को

हिलाकर झकझोर देती है,

जब तक घर से बाहर हैं

डर डर कर ही जीती हैं।

देशद्रोहियों को न डर लग रहा

देश प्रगति पथ पर जरूर है,

पर देश विरोधी मानसिकता का

शिकार हो घायल भी हो रहा है।

हे लम्बोदर! अब तुम ही कुछ करो

हे एकदंत हे सिद्ध विनायक

जन जन का ही नहीं

राष्ट्र का भी उद्धार करो।

हे रिद्धि सिद्धि के दाता

अब न विकल्प कोई सूझता

हे गणाधीश हे शिव सपूत

अब तुमको ही आना होगा,

धरती पर संकट बढ़ा बहुत है

हे शक्तिपुत्र! तुम्हें ही हरना होगा।

अक्षत चंदन रोली पुष्पों संग

हाथ जोड़ हम विनय करें,

अपने और संसार की खातिर

बप्पा प्रभु हम विनय कर रहे

सूँड़ बढ़ाओ, गदा चलाओ

जो चाहो अब आकर करो,

बस विनय हमारी इतनी है

दुनिया में शान्ति बहाल करो।

हे प्रथम पूज्य, हे विध्न विनाशक

इतना तो बतला दो हमें,

जब आना तुमको है ही लंबोदर

तो कब तक तुम आ सकते हो,

अपनी कृपा की वर्षा गणपति

कब आकर कर सकते हो,

हमको सुख चैन दिला सकते हो

ये तो विश्वास दिला दो हमें।

 

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921