जिंदगी है यूँ ही मरीचिका
बहुत पुरानी बात है करीब सन् 1972-1973 की मैं एक साल विद्यालय नहीं जा पाई थी… गाँव में रहना पड़ा
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Read Moreहमारे लिए गर्मी की छुट्टियों में हिल स्टेशन तथा सर्दियों में समुद्री इलाका हमारा ननिहाल या ददिहाल ही हुआ करता
Read Moreसुविख्यात साहित्यकार श्रद्देय देवेन्द्र शर्मा ‘इन्द्र’ जी (गाज़ियाबाद) से कई बार फोन पर बात होती— कभी अंग्रेजी में, कभी हिन्दी
Read Moreआज मै अपने दो मित्रो की कहानी साझा कर रहा हु. १- मेरे एक मित्र रामाज्ञा है, हम लोग साथ
Read Moreगौतम गोत्रीय मिश्र परिवार का पुस्तैनी गाँव भरसी बुजुर्ग आज भी उन तमाम रीतियों, परंपराओं और संस्कारों को उसी रूप
Read Moreजमशेदपुर का दूसरा नाम टाटानगर भी है. यह झारखंड के दक्षिणी हिस्से में स्थित पूर्वी सिंहभूम जिले का हिस्सा है.
Read Moreहम अपने मित्र दम्पत्ति से मिलने लॉन्ग बीच कैलिफ़ोर्निया गए। उनका घर एक गोल परिधि में बनी कोठियों में एक
Read Moreरात के लगभग दो बजे मैं अपने घर पहुंचा था । घर में किसी को भी इस घटना के बारे
Read Moreअब गुरूजी ने वह आटे से बनाया हुआ दीया प्रज्वलित कर दिया और उसके ठीक निचे की सीढ़ी पर जहाँ
Read Moreगुरूजी की बात अब मेरे समझ में आ रही थी । ‘ वाकई रात के अँधेरे में हम वहां मंदिर
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