जीवनसाथी
सुबह-सुबह दिनेश जी को पार्क में प्राणायाम करते हुए देखकर मोहन जी आश्चर्य में भर गए। उन्होंने दूर से कहा,”राम
Read More” बेटा , कथरीसाज आया है । पुरानी साड़ियाँ जो निकाली थीं लेकर आना जरा।” मेरी माँ बुला रहीं थी
Read Moreरात का एक बजा है और वह रसोईघर में ही बैठी है। पहले कुछ देर पढ़ती रही फिर फोन की
Read Moreअत्यंत शोकग्रस्त होते हुए भी तीन दिन से वह पंछियों का पानी बदलकर दाना डालती, पर दाना-पानी वैसे का वैसा
Read Moreशर्मा जी! हमें और हमारे बेटे राहुल को आपकी बेटी नेहा पहली नजर में ही पसंद आ गई। इस बारे
Read Moreकाम का सम्मान “यार रघु, तुम्हें अब भी सब्जी का ठेला लगाते हुए संकोच नहीं होता ?” “संकोच ? क्यों
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