“कुंडलिया”
कणकण है बिखरा जगत, धरती करें पुकार माँटी माँटी पूछती, कहाँ चाक कुंभार कहाँ चाक कुंभार, सृजन कर दीया-बाती आज
Read Moreकणकण है बिखरा जगत, धरती करें पुकार माँटी माँटी पूछती, कहाँ चाक कुंभार कहाँ चाक कुंभार, सृजन कर दीया-बाती आज
Read Moreमाया ने हरि से कहा, श्याम आज क्यों मौन । चाह लिए राधा फिरे , दोषी जग में कौन ।
Read Moreमदन छंद या रूपमाला छंद एक अर्द्धसममात्रिक छन्द है, जिसके प्रत्येक चरण में 14 और 10 के विश्राम से 24
Read More(1) पाखण्डी पाखण्ड का, रखे न कोई लेख सट्टे के बाजार में, लेखा जोखा देख । लेखा जोखा देख, लुटे
Read Moreलहरें उठें समुंदरी, सूरज करें प्रकाश नौका लिए सफर चली, मोती मोहित आस मोती मोहित आस, किनारे शोर मचाएँ बादल
Read Moreसबकी झोली भरें माँ, रहे न खाली हाथ रोजी रोटी कठौता, पुलकित रहे संगाथ पुलकित रहे संगाथ, मातु करो कृपा
Read Moreनवरात्र पूजा घनाक्षरी छंद (कवित्त) महागौरी, कूष्माण्डा माँ, पूजूँ मैं धूप दीप से, ढोल नगाड़े बाजे से, घर में पधराऊँ।
Read Moreयदि ना उतरता ज्वर दिखे शीत लगे दिनरात दो कविताएं ओज की पिलवाओ हे तात पिलवाओ हे तात न फीवर
Read Moreअमर शहीद “कैप्टन मनोज पाण्डेय“ को नमन करते हुए . . श्रद्धान्जलि स्वरुप एक घनाक्षरी काव्य–पुष्प उनको अर्पित करता हूँ
Read More“माँ वाग्देवी” की वन्दना ( घनाक्षरी छन्द ) शारदे! वाणी को ओज मिले और , शक्ति मिले मन को मनभावन
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