क्षणिका
यह अजीबोग़रीब स्थिति है कि सबकोई क्यों ‘पलवा’ के ” ” चाट रहे हैं ! क्या-क्या चाटने-चटवाने ? चटनी की
Read Moreशंकर होना आसान नहीं है क्योंकि मिलते हैं पीनो को जहर का प्याला। शंकर होता है सचमुच हिम्मत वाला जीवन
Read Moreबंदिशों के पिंजरो में कैद है- मेरी जज्बातों की आजादी! पंख फड़फड़ाते है….. उड़ नहीं सकते ये परिंद….! रफ्ता रफ्ता
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