क्षणिकापद्य साहित्य डॉ. जेन्नी शबनम 02/08/202229/07/2022 क्षणिका अब्र 1. अब्र ज़माने के हलाहल पीकर जलती-पिघलती मेरी आँखों से अब्र की नज़रें आ मिली न कुछ कहा, न कुछ Read More
क्षणिका चेतना सिंह 'चितेरी' 28/07/2022 क़रीब क़रीब ______ तुम मेरे दिल के इतने क़रीब हो , चाह कर भी मैं तुम्हें भूल नहीं सकती। एहसास ______ Read More
क्षणिका *लीला तिवानी 24/07/202228/07/2022 रहने दो हरी-भरी इस दुनिया को हरा-भरा ही रहने दो निर्मल है दरिया का जल इसे निर्मल ही रहने दो अवनि से Read More
क्षणिका *ब्रजेश गुप्ता 15/07/2022 क्षणिका हर पल यह अहसास होता है तू है यहीं कहीं मेरे आस पास फिज़ाओं में इस तरह बसी है तू Read More
क्षणिका *ब्रजेश गुप्ता 11/07/2022 क्षणिकाएं नदियां सैलाबों से लबालब हैं इंसान भावनाओं के सैलाब से कब लबालब होगा वहां तो भावनाओं के सैलाबों का सूखा Read More
क्षणिका *लीला तिवानी 10/07/2022 नई दुनिया चलो एक नई दुनिया बसाएं, जहां प्यार-ही-प्यार हो वैर नहीं, जहां सब अपने हों गैर नहीं. जहां संवाद हो विवाद Read More
क्षणिका *ब्रजेश गुप्ता 02/07/202209/07/2022 क्षणिकाएं मैं समुंदर हूं मैं लोटूंगा मेरी यह फितरत है मैं जाकर थमता नहीं फिर लोटता हूं पूरी शिद्दत के साथ Read More
क्षणिका *ब्रजेश गुप्ता 05/06/2022 खिचड़ी खिचड़ियां पक रही दिमागों में किसको करना चित और किसको करना पट है बर्तन में पकी खिचड़ियां करती तन मन Read More
क्षणिका *ब्रजेश गुप्ता 10/05/202226/05/2022 सड़क बहुत देर करदी तूने यहां आते आते अब कौन मिलेगा तुझे यहां तेरे इंतजार में सब तो शहरों को चले Read More
क्षणिका *अंजु गुप्ता 26/04/2022 क्षणिकाएं बीता वो वक्त जब… ऋषि दधीचि हनुमान सम सेवक …पूजे थे जाते! और आज, मशीनी वक्त है जिधर मानव _ Read More